IPO and Pre IPO Offer

आईपीओ [IPO] से पहले, कंपनी सीमित शेयरधारकों के साथ निजी तौर पर कारोबार करती है। हालांकि, IPO के बाद, शेयरों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है क्योंकि आप और मेरे जैसे लोग और अन्य इंस्‍टीट्यूशनल इंवेस्‍टर्स कंपनी के शेयर खरीदते हैं और संख्या बढ़ जाती हैं.।

आईपीओ (IPO) लाने के कारण क्या हैं?

विस्तार बढ़ाने के लिए (FOR EXPANSION)
जब कोई भी किसी कंपनी को लगता है कि वह लगातार आगे बढ़ रही है और उसे ज्यादा विस्तार की जरूरत है tab कंपनी को दूसरे शहरों में भी विस्तार करना है और इसके लिए उसे लोगों की भी जरूरत है तो इस स्थिति में कंपनी आईपीओ जारी करती है. कंपनी के विस्तार के लिए वैसे तो वह बैंक लोन का सहारा भी ले सकती है, लेकिन बैंक लोन को कंपनी को एक निश्चित समय पर निश्चित ब्याज (INTEREST) के साथ लौटाना भी होता है जो कंपनी को कर्ज होता हैं. जबकि अगर कंपनी आईपीओ के जरिए फंड इकट्ठा करती है तो उसे किसी को न तो वह पैसा लौटाना पड़ता है और न ही किसी तरह का ब्याज देना पड़ता है.जो कंपनी के लिए फायदा होता हैं.

यह तो हुआ कंपनी का फायदा. अब आईपीओ खरीदने वाले लोगों के फायदे की बात करते हैं. जो भी इनवेस्टर आईपीओ में इनवेस्ट करते हैं उन्हें उस खरीदे गए आईपीओ के बदले में कंपनी में कुछ प्रतिशत की हिस्सेदारी मिल जाती है. यानि अगर किसी कंपनी ने कुछ शेयर आईपीओ के लिए निकाले हैं और आपने उन शेयर्स का दो प्रतिशत हिस्सा खरीदा है तो आप उस कंपनी के दो प्रतिशत हिस्से के मालिक होते हैं. इस तरह से आईपीओ से कंपनी और इनवेस्टर दोनों को फायदा होता है.

Pre-IPO Stocks -प्री-आईपीओ निवेश तब होता है जब आप किसी प्राइवेट या पब्लिक लिमिटेड कंपनी में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के साथ सार्वजनिक होने से पहले निवेश करते हैं। एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) तब होती है जब कोई कंपनी पहली बार किसी सार्वजनिक एक्सचेंज पर व्यापार करना शुरू करती है। ज्ञान या जन जागरूकता की कमी के कारण, प्री-आईपीओ शेयर सभी के लिए खुले नहीं हैं।

पहले, प्री-आईपीओ शेयर केवल बैंकों, निजी इक्विटी कंपनियों, हेज फंड और कुछ अन्य चुनिंदा श्रेणियों के लिए उपलब्ध थे। लेकिन अब यह कोई समस्या नहीं है। , कंपनी के विकास की प्रवृत्ति को देखते हुए सही व्यवसाय चुनकर हर कोई प्री-आईपीओ चरण में निवेश कर सकता है। । अब ऐसे नियम हैं जो निगम को अपने शेयरों को डीमैटरियलाइज़ करने की अनुमति देते हैं, जिससे हर कोई उन्हें खरीद सकता है और उन्हें आसानी से एक डीमैट खाते से दूसरे में स्थानांतरित कर सकता है। इस शेर को छे महीने तक लोक इन पीरियड में रखना होता हैं.

आईपीओ को इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (INITIAL PUBLIC OFFERING) कहते हैं. दरअसल जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो इसे आईपीओ कहते हैं. इस प्रक्रिया में कंपनियां अपने शेयर आम लोगो को ऑफर करती है और यह प्राइमरी मार्केट के अंतर्गत होता है. अगर ज्यादा साधारण तरह से जानना है तो कहेगें कि आईपीओ के जरिए कंपनी फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को कंपनी की तरक्की में खर्च करती है. बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है. मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते है तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं. एक कंपनी एक से ज्यादा बार भी आईपीओ ला सकती है. आमतौर पर कंपनियां कई कारणों से आईपीओ लाती है. इन कारणों को भी विस्तार से जानते हैं…

क्या आपको प्री-आईपीओ कंपनियों में निवेश करना चाहिए?-
Should you invest in pre-IPO companies?

प्री-आईपीओ में निवेश का सबसे सम्मोहक कारण संभावित लाभ है। इसमें निवेश पर उच्चतम संभव रिटर्न देने की क्षमता है। शेयर बाज़ार में ज्यादातर टेक्नोलॉजी शेयरों में तेजी की काफी संभावनाएँ होती हैं। हालांकि यह स्पष्ट है कि कंपनी के सार्वजनिक होने से पहले शुरुआती निवेशकों को सबसे ज्यादा फायदा होता है। एक अन्य लाभ शेयर बाज़ार की अनिश्चितता का अभाव है। प्री-आईपीओ निवेश व्यवसाय के आधार पर 2008 के वित्तीय संकट या 2020 की महामारी जैसी घटनाओं से प्रभावित नहीं है। हालांकि, घटनाओं का असर कारोबार पर भी पड़ सकता है और इसका असर आपकी बचत पर पड़ेगा।

pre ipo in 2022

प्री-आईपीओ निवेश, शेयर बाज़ार की तरह, जोखिम के बिना नहीं है और कई बार इसमें बहुत खतरा भी शामिल होता है। स्टार्टअप व्यवसाय हमेशा प्रभावी नहीं होते हैं। नतीजतन, जब कोई निवेश विफल हो जाता है तो कोई रिटर्न नहीं होता है। नुकसान ही होते हैं। दूसरी ओर, कंपनियाँ जोखिम से अवगत हैं। कंपनियाँ क्षतिपूर्ति के लिए कम कीमत पर शेयर भी बेचती हैं। यह न केवल निवेशकों को आकर्षित करता है, बल्कि यह व्यवसाय की सुरक्षा भी करता है। अगर यह सार्वजनिक हो जाता है लेकिन आईपीओ स्टॉक विफल हो जाता है, तो कंपनी के पास निजी निवेशकों द्वारा प्राप्त धन होगा।

प्री आईपीओ निवेश खबरों में क्यों है- Why Pre IPO Investments are in the News
सेबी ने प्रमोटरों से शेयरधारकों को नियंत्रित करने के विचार को स्थानांतरित करने का फैसला किया है।

इसने आवंटन की तारीख से छह महीने के लिए प्रमोटरों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा आयोजित प्री-आईपीओ प्रतिभूतियों के न्यूनतम लॉक-इन को भी कम कर दिया है। वर्तमान में एक वर्ष की लॉक-इन अवधि है.

प्री-आईपीओ शेयरों में निवेश करके पैसे कैसे कमाएं?-
How to make money by investing in pre-IPO stocks?

प्री-आईपीओ शेयरों में निवेश निश्चित रूप से अच्छी मात्रा में नकद रिटर्न दे सकता है और अगर उन्हें समझदारी से निवेश किया जाए तो यह लाभदायक विकल्प हो सकता है। कंपनी में निवेश करने से पहले कई चीजों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए जैसे भविष्य के पूर्वानुमान, कंपनी का प्रदर्शन और कंपनी के वित्तीय डेटा के लिए कोई विश्लेषण। प्री-आईपीओ शेयरों में निवेश एक महत्वपूर्ण कार्य है, प्री-आईपीओ में निवेश निश्चित रूप से उच्च जोखिम पर है। और निवेश के लिए किस कंपनी को चुना जाना चाहिए,

इसकी पहचान करने के बाद विकास और उन्नति के लिए कंपनी की रणनीतियों को जाना जाना चाहिए, और इसकी परिचालन रणनीतियों का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए अच्छा रिटर्न रिवॉर्ड अनुपात हासिल करने के लिए कंपनी का मूल्यांकन किया जाना चाहिए क्योंकि प्री-आईपीओ शेयरों में निवेश तुलनात्मक रूप से एक जोखिम भरा विकल्प है।

प्री-आईपीओ शेयरों में निवेश करना हमेशा लाभदायक होता है क्योंकि वे दीर्घकालिक मूल्य निर्माण में मदद करते हैं। एक प्रतिष्ठित कंपनी हमेशा अपनी सद्भावना बनाए रखेगी, इसलिए निवेश हमेशा लॉक-अप अवधि समाप्त होने के बाद भी योग्य होना चाहिए।

प्री-आईपीओ निवेश उन कंपनियों में किया जाना चाहिए जिनके पास उज्ज्वल भविष्य और सुचारू प्रबंधन योजनाएं हैं। यह कंपनी के विकास को बनाने में मदद कर सकता है, और प्री-आईपीओ ‘एक बड़ी हिट बन सकता है। प्री-आईपीओ’ से पैसा बनाने का एक और प्रमुख पहलू वरिष्ठ टीम के सदस्यों के पिछले रिकॉर्ड का मूल्यांकन कर रहा है। एक सफल टीम एक सफल संगठन की ओर ले जा सकती है। कंपनी की योजनाएं और जोखिम प्रॉस्पेक्टस में अच्छी तरह से रखे गए हैं, विभिन्न परियोजनाओं में किसी भी प्रस्तावित पूंजी को शामिल किया गया है, इसमें शामिल जोखिम और वृद्धि प्रॉस्पेक्टस में रखी गई है। इसलिए, प्री-आईपीओ खरीदना ‘ एक आकर्षक निर्णय हो सकता है,

यदि आप प्री आईपीओ शेयरों में निवेश करना चाहते हैं – यहां संपर्क फ़ॉर्म भरें।

शेयर बाजार अनिश्चितताओं से भरा बाजार है. बाजार की चाल एक पल में कुछ और होती है तो दूसरे ही पल स्टॉक मार्केट का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आप भी अक्सर स्टॉक मार्केट में इनवेस्टिंग के बारे में जरूर सोचते होंगे, लेकिन फिर आपको लगता होगा कि आख़िर कैसे शेयर बाजार में इनवेस्ट किया जाए?

शेयर बाजार में इनवेस्टिंग की कोई ज्यादा मुश्किल प्रक्रिया नहीं है. बस आपको थोड़ा पढ़ना होगा और शेयर बाजार पर नज़र रखने की आदत ड़ालनी होगी. स्टॉक मार्केट में इनवेस्टिंग दो तरीकों से की जा सकती है…

1. प्राइमरी मार्केट (PRIMARY MARKET)
2. सेकंड्ररी मार्केट (SECONDRY MARKET)
प्राइमरी मार्केट में आप आईपीओ (IPO) के जरिए इनवेस्ट (INVESTING) करते हैं और सेकंड्री मार्केट में सीधे तौर पर स्टॉक मार्केट में लिस्टिड शेयर में इनवेस्टिंग की जाती है.

आईपीओ के बारे में आसान भाषा में समझते हैं…

कर्ज कम करने लिए
जब कंपनी ज्यादा कर्ज में होती है तो इस स्थिति में भी कंपनी आईपीओ जारी करती है. ऐसे में कंपनी किसी बैंक से लोन लेकर कर्ज की भरपाई करने से बेहतर समझती है कि कंपनी के कुछ शेयर बेच दिए जाए और कर्ज का भुगतान किया जाए. ऐसे में कंपनी के कर्ज का भी भुगतान हो जाता है और कंपनी को नए इनवेस्टर भी मिल जाते हैं और इनवेस्टर को कंपनी में कुछ हिस्से का मालिक बनने का मौका भी मिल जाता है.

किसी नए प्रोडक्ट या सर्विस की लॉंच के लिए
आईपीओ जारी करने की एक और वजह होती है. कंपनी द्वारा अपने नए प्रोडक्ट्स और सर्विस का लॉंच करना. जब कभी कोई कंपनी किसी नए प्रोडक्ट्स या सर्विस की शुरूआत करती है तो कंपनी चाहती कि उस सर्विस या प्रोडक्ट्स का प्रोमोशन हो और वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. इसलिए कंपनी आईपीओ या इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) जारी करती है.

आईपीओ के प्रकार (TYPES OF IPO)
Types of IPO

आईपीओ को दो तरह से बांटा जा सकता है और इसे दो भागों में बांटने का कारण उसकी कीमतों का निर्धारण होता है.

फिक्स प्राईस इश्यू या फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE ISSUE OR FIX PRICE IPO)
बुक बिल्डिंग इश्यू या बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)
फिक्स प्राईस आईपीओ (FIX PRICE IPO)
आईपीओ जारी करने वाली कंपनी आईपीओ जारी करने से पहले इनवेस्टमेंट बैंक (INVESTMENT BANK) के साथ मिलकर आईपीओ के प्राईस के बारे में चर्चा करती है. इनवेस्टमेंट बैंक के साथ मिटिंग में कंपनी आईपीओ का प्राईस डिसाइड (DECIDE) करती है. उस फिक्स प्राईस पर ही कोई भी इनवेस्टर आईपीओ को सबस्क्राईब कर सकते हैं. आप केवल उसी प्राइस पर आईपीओ खरीद सकते हैं जो प्राईस निर्धारित किए गए है.

बुक बिल्डिंग आईपीओ (BOOK BUILDING IPO)
इसमें कंपनी इनवेस्टमेंट बैंक (INVESTMENT BANK) के साथ मिलकर आईपीओ का एक प्राईस बैंड (PRICE BAND) डिसाइड करती है. जब आईपीओ की प्राईस बैंड डिसाइड हो जाती है उसके बाद ही इसे जारी किया जाता है. इसके बाद डिसाइड किए गए प्राईस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सबस्क्राईब (SUBSCRIBE) करते हैं. बुक बिल्डिंग आईपीओ के प्राईस बैंड में दो तरह के होते हैं…

प्राईस बैंड में अगर आईपीओ का प्राईस कम है तो फ्लोर प्राईस (FLOOR PRICE) कहते हैं.
अगर आईपीओ का प्राईस ज्यादा है तो इसे कैप प्राईस (CAP PRICE) कहते हैं.
ध्यान देने वाली बात यह है कि बुक बिल्डिंग आईपीओ में कैप प्राईस (CAP PRICE) और फ्लोर प्राईस (FLOOR PRICE) में 20% का अंतर रखा जा सकता है.

आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने आईपीओ को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है. मतलब कोई भी आईपीओ जब आता है तो उसे कोई भी इनवेस्टर 3 से 10 दिनों के भीतर ही खरीद सकता है. कोई कंपनी अपने आईपीओ जारी करने की अवधि सिर्फ 3 दिन भी रखती है तो कोई तीन दिन से ज्यादा रखती है.

आप इन निश्चित दिनों के भीतर की कंपनी की साईट पर जाकर या रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के जरिए आईपीओ में इनवेस्ट कर सकते हैं. अब अगर आईपीओ फिक्स प्राईस इश्यू है तो आपको उसी फिक्स प्राईस पर आईपीओ के लिए अप्लाई करना होगा, और अगर आईपीओ बुक बिल्डिंग इश्यू है तो आपको उस बुक बिल्डिंग इश्यू पर ही बिड लगानी होगी.

अलॉटमेंट प्रोसेस (ALLOTMENT PROCESS)
जब आईपीओ ओपनिंग क्लोज हो जाती है तो कंपनी आईपीओ का अलॉटमेंट करती है. इस प्रोसेस में कंपनी सभी इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट करती है और इनवेस्टर्स को आईपीओ अलॉट होने के बाद शेयर स्टॉक एक्सचेंज (STOCK MARKET) में लिस्ट हो जाते हैं. स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद शेयर सेकेंड्री मार्केट में खरीदे और बेचे जाते हैं. जब तक शेयर, स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते हैं आप उन्हें नहीं बेच सकते हैं. एक बार जब स्टॉक मार्केट में शेयर लिस्ट हो जाते हैं तो पैसा और शेयर ये दोनों इनवेस्टर के बीच एक्सचेंज होते रहते हैं.

एक बार लिस्ट होने के बाद स्टॉक मार्केट टाईमिंग (STOCK MARKET TIMING) के हिसाब से आप शेयर बेच भी सकते हैं और खरीद भी सकते हैं.

सेबी (SEBI – SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA) की निगरानी में होता है सारा प्रोसेस
Sebi

कोई भी कंपनी जब अपना आईपीओ लाने की योजना बनाती है तो उसे सेबी के सभी नियमों का पालन करना होता है. उसे सेबी को आईपीओ लाने के कारणों से लेकर हर छोटी बड़ी बात से अवगत कराना होता है. कंपनी एक रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टेस (RED HERRING PROSPECTUS) सेबी को देती है.


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